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विधि व्यवसाय किसे कहा जाता है? | भारत में विधि व्यवसाय का इतिहास

नमस्कार दोस्तों,  विधि व्यवसाय एक कठिन विषय है। इसकी भाषा एवं उपबन्ध अत्यन्त क्लिष्ट माने जाते हैं। विधि का अध्ययन कर पाना हर व्यक्ति के लिए संभव नहीं है। योग्य, अनुभवी एवं प्रशिक्षण प्राप्त व्यक्ति ही इसे आसानी से समझ सकते हैं।

यही कारण है कि विधि का अपना एक अलग ही अध्याय है जो व्यक्ति इसका अध्ययन करता है, वह व्यक्ति अधिवक्ता (Advocate) कहलाता है। भारत में विधि व्यवसाय, अधिवक्ता अधिनियम १९६१ द्वारा शासित है।

इस अधिनियम में भारतीय विधि व्यवसायियों से सम्बन्धित तथा भारतीय विधिज्ञ परिषद ( Bar Council of India) और राज्यों के विधिक परिषदों के गठन से सम्बन्धित नियम दिए गए हैं। यह भारतीय वकीलों के लिए एक सम्पूर्ण संहिताबद्ध विधि है जो समस्त भारत के वकीलों का निर्धारण करता है।

विधि व्यवसाय (Legal profession)

अधिवक्ता द्वारा न्यायालय के समक्ष अपने पक्षकार के पक्ष को प्रस्तुत करना तथा उसकी ओर से पैरवी करना ‘विधि-व्यवसाय’ (Legal profession) कहलाता है क्योंकि अधिवक्ता का यह एक तरह से व्यवसाय होता है और इसके लिए वह अपने पक्षकार से शुल्क प्राप्त करता है।

विधि व्यवसाय से अभिप्राय मात्र राय हेतु प्रायिक तौर पर न्यायालय परिसर का भ्रमण करने से नहीं है अपितु न्यायालयों में नियमित रूप से पैरवी करने से है।

बार कौंसिल ऑफ इण्डिया बनाम ए.के. बालाजी, ए.आई.आर. 2018 एस.सी. 1382 के अनुसार न्यायालयों में नियमित रूप से पैरवी अथवा प्रेक्टिस करना ही अधिवक्ता का कार्य है|

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विधि व्यवसायी का अर्थ

विधि व्यवसायी को प्रचलित भाषा में अधिवक्ता, एडवोकेट, वकील, प्लोडर आदि नामों से जाना जाता है।

विधि-व्यवसायी से अभिप्राय ऐसे व्यक्ति से है जो अपने पक्षकार की ओर से न्यायालय में उपस्थिति देता है, बाद परिवाद प्रस्तुत करता है, पैरर्क करता है, बोलता है तथा प्रतिनिधित्व करता है।

विधि-व्यवसायी ऐसा व्यक्ति हो सकता है जो निर्धारित अर्हता रखता हो तथा जिसका अधिवक्ताओं की पंजिका में नाम दर्ज हो।

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