भारत में गर्भपात कानून
Pregnancy Loss, जिसे गर्भपात भी कहा जाता है, किसी भी महिला के लिए एक विनाशकारी अनुभव हो सकता है। ऐसे मामलों में जहां गर्भपात किसी अन्य व्यक्ति या लोगों द्वारा जानबूझकर किया जाता है, महिला भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत कानूनी सहारा ले सकती है।
हालाँकि, आपराधिक शिकायत दर्ज करने का निर्णय लेने से पहले कानूनी निहितार्थों की स्पष्ट समझ होना आवश्यक है। इस लेख का उद्देश्य यह जानकारी प्रदान करना है कि गर्भपात कराना कब अवैध हो जाता है, सहमति की दुविधा, संभावित दंड और भारत में गर्भवती महिलाओं के लिए उपलब्ध कानूनी विकल्प।
गर्भपात कराना कब अवैध है?
कुछ शर्तें पूरी होने पर गर्भ-पात कराना भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत अवैध माना जाता है:
1. गर्भपात जानबूझकर किया गया होना चाहिए, आकस्मिक नहीं।
2. गर्भपात के पीछे कोई अच्छा विश्वास नहीं होना चाहिए, यानी, यह गर्भवती महिला के जीवन को बचाने के लिए नहीं किया गया था।
3. गर्भवती माँ ने गर्भ-पात के लिए सहमति नहीं दी।
उदाहरण के लिए, किसी गर्भवती महिला को गर्भ-पात कराने के इरादे से दवा देना या उसकी सहमति के बिना कोई प्रक्रिया करना गैरकानूनी माना जाएगा।
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