सिविल न्यायालय एवं आपराधिक न्यायालय में अन्तर
(i) सिविल न्यायालय से तात्पर्य ऐसे न्यायालय से है जो सिविल मामलों की सुनवाई करता है, वाद में के पक्षकारों के अधिकारों को तय करता है तथा जिसका उद्देश्य पक्षकारों को दण्ड देना नहीं होता है।
जबकि आपराधिक न्यायालय द्वारा आपराधिक मामलों की सुनवाई की जाती है। इसका उद्देश्य व्यक्ति के अधिकारों को तय करना नहीं होकर किसी अपराध के दोषी व्यक्ति को दण्डित करना होता है।
(ii) सिविल न्यायालय का पीठासीन अधिकारी सिविल न्यायाधीश कहलाता है जबकि आपराधिक न्यायालय का पीठासीन अधिकारी दण्डाधिकारी (मजिस्ट्रेट) अथवा सेशन न्यायाधीश कहलाता है।
(iii) सिविल-न्यायालय की प्रक्रिया सिविल प्रक्रिया संहिता द्वारा संचालित होती है जबकि आपराधिक न्यायालय की प्रक्रिया दण्ड प्रक्रिया संहिता द्वारा।
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