परिचय – वसीयत (Will)
हमारे समाज में सम्पत्ति के अन्तरण की अनेक रीतियाँ है जिनमे विक्रय, दान, विनिमय, वसीयत, हिबा आदि है, लेकिन इन सभी मे वसीयत द्वारा सम्पत्ति के अन्तरण की रीति भिन्न है।
विक्रय, दान, विनिमय आदि में सम्पत्ति के अन्तरण का संव्यवहार दो जीवित व्यक्तियों के मध्य होता है लेकिन वसियत में एक पक्षकार जीवित तथा दूसरा पक्षकार मृतक होता है| यानि वसीयत पक्षकार के मृत्यु के बाद लागु होती है|
वसीयत एक ऐसा दस्तावेज है जिसके माध्यम से कोई भी व्यस्क तथा स्वस्थचित व्यक्ति अपनी मृत्यु के बाद अपनी सम्पति को किसी अन्य व्यक्ति को सौंप सकता है| इसका तात्पर्य यह है कि वसियत करने वाले व्यक्ति की मृत्यु के बाद ‘वसीयत’ प्रभाव में आती है।
वसीयत विधि किसी भी व्यक्ति को अपने उतराधिकार के अधिकार से रहित कुछ सम्बन्धियों को, अजनबी व्यक्तियों द्वारा की गई सेवा या अपने अंतिम समय में की गई सेवा-शुश्रुषा आदि का उपकार (प्रतिफल) देने का प्रावधान करती है|
वसीयत (ईच्छा पत्र) क्या होती, परिभाषा, वैध वसीयत के आवश्यक तत्व