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विधिज्ञ परिषद् की अनुशासन समिति का गठन एंव उसकी शक्तियां | बार एंड बैंच

अनुशासन समिति | Disciplinary Committee

अनुशासनात्मक समिति से तात्पर्य एक व्यक्ति या लोगों के समूह जो किसी शिकायत, पुनरीक्षण या स्वत: संज्ञान पर किसी वकील के पेशेवर कदाचार से जुड़े मामलों और कार्यवाही की सुनवाई करने के लिए सशक्त है।

अनुशासनात्मक समिति का गठन मुख्य रूप से यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया या किसी राज्य की बार काउंसिल के सदस्य पेशेवर नैतिकता और मानकों को बनाए रख रहे हैं।

अनुशासन समिति का गठन

अधिवक्ता अधिनियम की धारा 9 में राज्य बार काउंसिल को एक या एक से अधिक अनुशासन समितियों का गठन करने का अधिकार दिया गया है। इसका गठन निम्नाकिंत से मिलकर होगा –

  • प्रत्येक अनुशासनात्मक समिति में 3 सदस्य होंगे,
  • जिनमे दो सदस्यों का चयन बार काउंसिल के सदस्यों में से किया जाएगा और
  • एक का चयन उन अधिवक्ताओं में से किया जाएगा जिनके पास पेशे में 10 साल से अधिक का अनुभव है।
  • तीन सदस्यों में से पेशे में सबसे वरिष्ठ सदस्य अनुशासन समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्य करेगा।

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अनुशासन समिति की शक्तियां

अधिवक्ता अधिनियम की धारा 42 अनुशासनात्मक समिति की शक्ति से संबंधित है। इसमें यह प्रावधान किया गया है कि, राज्य बार काउंसिल की अनुशासनात्मक समिति के पास निम्नलिखित मामलों के संबंध में सीपीसी के तहत सिविल कोर्ट की तरह ही शक्तियां होंगी।

1. किसी भी व्यक्ति को बुलाना और उसकी उपस्थिति सुनिश्चित करना तथा शपथ पर उसकी जांच करना।

2. किसी दस्तावेज़ की खोज और उत्पादन की आवश्यकता।

3. शपथ पत्र पर साक्ष्य प्राप्त करना।

4. किसी न्यायालय या कार्यालय से किसी सार्वजनिक रिकॉर्ड या किसी रिकॉर्ड की प्रतियों की आवश्यकता।

5. गवाहों या दस्तावेजों की जांच के लिए कमीशन जारी करना।

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अनुशासन समिति को निम्नलिखित व्यक्तियों की उपस्थिति की आवश्यकता का कोई अधिकार नहीं है।

(i) न्यायालय का कोई भी पीठासीन अधिकारी।

(ii) राजस्व न्यायालय का कोई भी अधिकारी।

किसी न्यायालय के पीठासीन अधिकारी को उच्च न्यायालय की अनुमति से अनुशासन समिति की कार्यवाही में भाग लेने के लिए बुलाया जाएगा और राजस्व न्यायालय के एक अधिकारी को राज्य सरकार की अनुमति से बुलाया जाएगा।

बार काउंसिल की अनुशासनात्मक समिति के समक्ष सभी कार्यवाही आईपीसी की धारा 193 और 228 के अर्थ के तहत न्यायिक कार्यवाही मानी जाएगी और ऐसी प्रत्येक अनुशासनात्मक समिति को एक सिविल अदालत माना जाएगा।

जांच प्रक्रिया: बार काउंसिल की अनुशासन समिति का मुख्य कार्य उपयुक्त अधिवक्ता पुरस्कार के खिलाफ पेशेवर कदाचार की शिकायतों की जांच करना है।

This Article is first published in Law Notes. You can read the original here.

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