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अधिवक्ता किसे कहा जाता है? सफल अधिवक्ता के गुण बताइए

अधिवक्ता किसे कहा जाता है?

कानून के क्षेत्र में अधिवक्ता (Advocate) उस व्यक्ति को कहा जाता है जो, अपने ग्राहकों की समस्याओं के समाधान के लिए उन्हें कानूनी सलाह देकर, उनकी समस्या का निपटारा करता है|

विस्तृत अर्थों में एडवोकेट से अभिप्राय ऐसे व्यक्ति से है, जो अदालत में किसी व्यक्ति की ओर से उपस्थित होकर उसका पक्ष रखता है, उसकी पैरवी करता है, वाद-परिवाद पेश करता है तथा उसका प्रतिनिधित्व करता है|

इसके अलावा एडवोकेट के पास स्वीकृत विश्वविद्यालय से विधि स्नातक पास की डिग्री भी होनी चाहिए और वह 18 वर्ष से अधिक उम्र का हो|

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अधिवक्ता के प्रकार

अधिवक्ता अधिनियम, 1961 की धारा 16(1) के अनुसार एडवोकेट दो प्रकार के होते है –

(i) वरिष्ठ अधिवक्ता व

(ii) अन्य अधिवक्ता

सफल अधिवक्ता में निम्नलिखित गुण होने चाहिए

विधि व्यवसाय अत्यन्त जोखिम वाला होता है क्योंकि इसमें एक निर्दोष व्यक्ति की हार उसका सब कुछ समाप्त कर देती है। इस व्यवसाय में वहीं एडवोकेट सफल हो सकता है जिसमें निम्नलिखित गुण विद्यमान हों –

(i) ईमानदारी (Honest) –

यह एडवोकेट का पहला गुण जो उसको सफलता के उच्च स्तर पर पहुँचा सकती है। ईमानदारी से तात्पर्य, एडवोकेट का अपने व्यवसाय, पक्षकार, साथी एडवोकेट एवं न्यायालय के प्रति निष्ठावान एवं विश्वसनीय बने रहना है।

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(2) साहस (Courage) –

साहस से तात्पर्य एडवोकेट द्वारा अपने पक्ष को न्यायालय के समक्ष निडरत्ता एवं निर्भीकतापूर्वक रखने से है। एडवोकेट के मन में कभी भी भय या संकोच नहीं होना चाहिए उसे अपने पक्षकार के मामले को अदालत के समक्ष रखने का अदम्य साहस होना चाहिए।

(3) परिश्रम –

परिश्रम को सफलता की चाबी माना जाता है। जो अधिवक्ता जितना मेहनती यानि परिश्रमी होगा वह उतना ही वह सफल एडवोकेट बन सकता है। वकालत में अधिवक्ता की हर समय परीक्षा होती है और इस परीक्षा में वही अधिवक्ता सफल हो सकता है जो अधिक मेहनत करता है।

(4) वाक्पटुता –

जिस एडवोकेट की बोली (वाणी) मधुर एंव चातुर्य है उसे एक सफल अधिवक्ता माना जाता है| अपनी बात को न्यायालय के सामने बलपूर्वक रखना वाक्चातुर्य पर ही निर्भर करता है। 

(5) विधिक ज्ञान –

एडवोकेट की मामले पर पकड़ तथा सम्बन्धित विधि व्यवस्था का ज्ञान उसकी सफलता में सहायक होते हैं यानि एडवोकेट के पास विधि का पूर्ण ज्ञान होना चाहिए तथा मामले से सम्बन्धित तथ्यो, पूर्व-निर्णयों पर उसकी गहरी पकड़ होनी चाहिए।

(6) सौम्य एवं सरल स्वभाव रखना –

एडवोकेट को न्यायालय एंव अपने कार्य क्षेत्र में अपना स्वभाव हमेशा सौम्य एंव मधुर रखना चाहिए। शान्त एवं सौम्य स्वभाव न्यायालय का मन जीतने में सहायक होते है। जो अधिवक्ता जितना अधिक सौम्य एंव सरल स्वभाव का होगा, उससे न्यायालय उतना ही प्रभावित होगा।

इसके अलावा निम्नलिखित गुण भी एक अधिवक्ता में होने चाहिए –

(1) एडवोकेट के पास मानव स्वभाव का पता लगाने का ज्ञान होना चाहिये

(2) अभिव्यक्ति की कला की जानकारी होनी चाहिए

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