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हिन्दू विधि के स्रोत कोन कोनसे है

हिन्दू विधि के स्रोत सुविधा के अनुसार हिन्दू विधि के स्रोत को दो भागों मै विभाजित किया गया है – (1) प्राचीन या मूल स्रोत (2) आधुनिक स्रोत हिन्दू विधि के प्राचीन स्रोत हिन्दू विधि के प्राचीन स्त्रोतों को भी…

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संपरिवर्तन किसे कहते है | What is the Conversion or Trover in hindi – Tort Law

संपरिवर्तन का अर्थ – संपरिवर्तन का तात्पर्य है, जानबूझकर बिना किसी विधिक ओचित्य के किसी व्यक्ति के माल या वस्तु के साथ इस रीती से संव्यवहार करना की, अन्य व्यक्ति जो उस माल के तात्कालिक प्रयोग एंव आधिपत्य का अधिकारी…

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मुस्लिम विधि के स्रोत | Sources Of Muslim Law In Hindi

मुस्लिम विधि के स्रोत | Sources Of Muslim Law In Hindi मुस्लिम कानून एक व्यक्तिगत कानून है जो केवल मुसलमानों पर लागू होता है। यह भारत में अदालतों द्वारा मुसलमानों पर सभी मामलों में नहीं, बल्कि केवल कुछ मामलों में ही…

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वारेन हेस्टिग्ज की 1772 की न्यायिक योजना का वर्णन | अदालत व्यवस्था क्या है?

वारेन हेस्टिग्ज की 1772 की न्यायिक योजना वॉरेन हेस्टिंग्स एक औपनिवेशिक प्रशासक था, जो ईस्ट इंडिया कंपनी के कर्मचारी के रूप में भारत आया था। 1772 से 1785 की अवधि के दौरान, उन्होंने बंगाल के राज्यपाल के रूप में काम किया…

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मुशा का सिद्धान्त, क्या मुशा का हिबा किया जा सकता है इसके अपवाद और हिबा का प्रतिसंहरण

मुशा का अर्थ – मुशा शब्द का शाब्दिक अर्थ – भ्रम है, इसकी व्युत्पत्ति ‘सुयूम’ शब्द से मानी जाती है| मुस्लिम विधि के अनुसार हिबा के सम्बन्ध में इसका अर्थ – ‘किसी सम्पत्ति में अविभाजित भाग’ से है। यानि ऐसी हर प्रकार की संयुक्त अविभाजित सम्पत्ति…

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विधिक अधिकार और विधिक कर्तव्यों का विधिशास्त्र के अनुसार वर्गीकरण

विधिक अधिकार और विधिक कर्तव्य विधिक अधिकार (legal right) और विधिक कर्तव्य (legal duty) दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू है अथवा अधिकार एंव कर्तव्य एक ही नियम एंव घटनाओं के भिन्न भिन्न पहलू है| सभी विधिशास्त्रियों का मत…

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विधिक अधिकार (Legal Right) किसे कहते है, परिभाषा व आवश्यक तत्व

विधिक अधिकार (Legal Right) – मानव सभ्यता के विकास का वास्तविक श्रेय विधि और उसकी निषेधात्मक प्रक्रिया को जाता है जिसने व्यक्ति को समाज के सदस्यों के रूप में अपने कर्तव्यों और अधिकारों का ज्ञान कराया है। जब से मानव समाज…

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भारत की न्याय व्यवस्था | JUDICIAL SYSTEM OF INDIA

भारत की न्याय व्यवस्था भारत की न्याय व्यवस्था (Judicial System Of India) – भारत की न्याय-व्यवस्था – प्राचीन भारत की न्याय व्यवस्था के बारें मै धर्मग्रन्थों  और न्याय प्रशासन के विषय में पर्याप्त जानकारी मिलती है। उस समय समाज में धर्म…

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हिन्दू विधि के स्रोत कोन कोनसे है

हिन्दू विधि के स्रोत क्या है? हिन्दू विधि के स्रोत हिन्दू विधि को विश्व की प्राचीनतम विधि व्यवस्था होने का श्रेय प्राप्त है। यह लगभग 6000 वर्ष पुरानी विधि व्यवस्था है। प्राचीन मत के अनुसार विधि एवं धर्म का अटूट संबंध…

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लोक हितवाद क्या है | लोकहित वाद का विस्तार एवं उद्देश्य

लोक हितवाद क्या है — लोक हितवाद 20 वीं सदी के उत्तरार्द्ध एवं 21वीं सदी के प्रारम्भ की एक महत्त्वपूर्ण अवधारणा है। जिसमे जन साधारण को सस्ता एवं शीघ्र न्याय उपलब्ध कराने तथा संविधान के अनुच्छेद 39क के उपबंधों को मूर्त…